| 1. | शुभ लक्षण त्रि-लघु समझ, गला जांघ अंगुष्ठ ।
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| 2. | समान एक अंगुष्ठ बडी चिडिया भी थीं ।
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| 3. | सबसे पहली उँगली को अँगूठा या अंगुष्ठ कहते हैं।
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| 4. | लिंग साधारणतया अंगुष्ठ प्रमाण का बनाना चाहिए।
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| 5. | अंगुष्ठ के परिमाण वाला है, ब्रह्म सबके हृदय में,
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| 6. | सबसे पहली उँगली को अँगूठा या अंगुष्ठ कहते हैं।
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| 7. | अंगुष्ठ के परिमाण मय, रवि रूप सम जीवात्मा,
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| 8. | हथेली में अंगुष्ठ और कनिष्ठा से संबंधित कर्मपेशियाँ हैं।
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| 9. | निज अंगुष्ठ संभालिये ये ना चोरी होय!!!!
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| 10. | हथेली में अंगुष्ठ और कनिष्ठा से संबंधित कर्मपेशियाँ हैं।
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