| 41. | यहां अन्नमय से आनंदमय कोष-अंतिम भीतरी परत की यात्रा है।
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| 42. | यदि शरीर से प्राणमय निकल जाए तो अन्नमय शरीर निर्जीव हो जाएगा।
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| 43. | मात्र इस स्थूल शरीर, इस पहले अन्नमय कोष को ही सब कुछ
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| 44. | अन्नमय कोश को छोड़कर शेष चार कोश अदृश्य व सूक्ष्म है ।
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| 45. | अन्न से प्राणी का जन्म, विकास परिपुष्टता और अन्नमय कोष बनता है।
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| 46. | अगर पर्ाणमय शरीर िनकल जाता है तो अन्नमय शरीर मुदार् हो जाता है।
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| 47. | अन्नमय आदि पाँच कोश हमारे सत्स्वरूप आत्मा पर एक प्रकार के आवरण हैं।
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| 48. | पितरों को दिये हुए अन्नमय पिण्ड को सूँघकर गाय को खिला दो ।
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| 49. | 1. अन्नमय कोश: यह पांचभौतिक स्थूल शरीर का पहला भाग है।
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| 50. | अन्नमय, प्राणमय और मनोमय कोष का तो सारा व्यापार ही त्रिगुण युक्त है।
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