उदाहरण के लिए यदि किसी की जन्मकुंडली में लग्नेश (lord of 1 st house) के दोनों ओर पाप ग्रह हों, तो कहा जाता है कि लग्नेश पाप कर्तरी में है।
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लेकिन पंचम भाव में पाप ग्रहों का होना पंचम भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि होना, पंचम भाव व पंचमेश का पाप कर्तरी प्रभाव में होना आदि उदर रोग के कारक हैं।
43.
आपके पति की कुंडली में पंचमेश गुरु शत्रु राशि में 12 वें घर में है तथा पंचम भाव पाप कर्तरी दोष से पीड़ित है एवम गुरु से पंचम में पाप ग्रह स्थित है |
44.
उत्तम मुहूर्त का विचार करते समय यह भी देखना चाहिए कि लग्न, चन्द्रमा और कार्य भाव पाप कर्तरी में नहीं हों अर्थात लग्न चन्द्र से दूसरे तथा बारहवें भाव में पाप ग्रह नहीं हों.
45.
मकर लग्न के लिए पंचमेश व दशमेश शुक्र योगकारक होकर लग्न से द्वादश भाव में है तथा उसकी प्राकृतिक शुभ ग्रहों बृहस्पति व बुध के बीच शुभ कर्तरी योग में स्थिति अत्यंत शुभ फलदायक है।
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मेरे विचार में उच्च के चंद्रमा से सूर्य अष्टम भाव में और चंद्र लग्न से बुध सप्तम होने से पति-पत्नी में अलगाव नहीं करवाया क्योंकि शुक्र गुरु के मध्य बुध शुभ कर्तरी में स्थित है।
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पंचमेश बुध का संबंध प्रेम से है और बुध-पापी ग्रह के साथ और पाप कर्तरी योग में पीड़ित है परंतु आश्चर्य की बात हे कि जातक का संबंध बहुत कम उम्र के लड़कों के साथ है।
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उत्तम मुहूर्त का विचार करते समय यह भी देखना चाहिए कि लग्न, चन्द्रमा और कार्य भाव पाप कर्तरी में नहीं हों अर्थात लग्न चन्द्र से दूसरे तथा बारहवें भाव में पाप ग्रह नहीं हों.मुहूर्त में सावधानी (
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कर्तरी दोष एवं परिहार: विवाह लग्न से दूसरे या 12 वें भाव में यदि पाप ग्रह हो, तो कर्तरी दोष होता है, जो कैंची की तरह दोनों ओर से लग्न की शुभता को काटता है।
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कर्तरी दोष एवं परिहार: विवाह लग्न से दूसरे या 12 वें भाव में यदि पाप ग्रह हो, तो कर्तरी दोष होता है, जो कैंची की तरह दोनों ओर से लग्न की शुभता को काटता है।