| 1. | हो या पाप कर्तरी योग में हो अर्थात्
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| 2. | -लग्नेश तथा कार्येश शुभ कर्तरी हो।
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| 3. | पाप कर्तरी योग यानी दिशाहीन जिन्दगी
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| 4. | संतान भाव भी पाप कर्तरी योग में दुर्बल है ।
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| 5. | पंचम भाव मंगल व राहु के पाप कर्तरी प्रभाव में है।
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| 6. | लग्न में बलवान शुभग्रह हो तो कर्तरी दोष भंग हो जाता है।
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| 7. | सप्तमेश बुध और विवाह कारक शुक्र पाप कर्तरी दोष से पीड़ित है।
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| 8. | गिलोटिन अथवा ऊर्ध्वाधर कर्तरी शिरश्छेदन (सिर छेदकर) मृत्युदण्ड देने के लिए कर्त्तन यन्
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| 9. | इसके अतिरिक्त विवाह लग्न में कर्तरी दोष का विश्लेषण भी किया जाता है।
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| 10. | लग्न में बलवान शुभग्रह हो, तो कर्तरी दोष भंग हो जाता है।
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