| 41. | फिर भी वहां शायद मानते हैं कि अर्थ काम्य है।
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| 42. | शिवरात्रि नित्य एवं काम्य दोनों है।
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| 43. | पूंजीवाद उन्हें कत्तई काम्य नहीं है।
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| 44. | काम्य, नैमित्तिक, वृद्धि, एकोद्दिष्ट तथा पार्वण।....
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| 45. | पूंजीवाद उन्हें कत्तई काम्य नहीं है।
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| 46. | साहित्य की जन-पक्षीयता आज भी सदा की तरह काम्य है.....
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| 47. | इस प्रकार के कर्म शास्त्रविहित कर्म अथवा काम्य कर्म कहलाते हैं।
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| 48. | काम्य, नैमित्तिक, वृद्धि, एकोद्दिष्ट तथा पार्वण ये पांच प्रकार के श्राद्ध
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| 49. | इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे
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| 50. | वाले काम्य पदार्थों में उसकी आसक्ती समाप्त हो जाती है ।
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