| 41. | मात्र भाषा ही नही.............. मनन मन मंथन करूं तो रत्न कोटिक गोद में, कोतुहल भय विषाद में प्रेम में प्रमोद में ।
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| 42. | मात्र भाषा ही नही.............. मनन मन मंथन करूं तो रत्न कोटिक गोद में, कोतुहल भय विषाद में प्रेम में प्रमोद में ।
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| 43. | मात्र भाषा ही नही.............. मनन मन मंथन करूं तो रत्न कोटिक गोद में, कोतुहल भय विषाद में प्रेम में प्रमोद में ।
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| 44. | मात्र भाषा ही नही..................... मनन मन मंथन करूं तो रत्न कोटिक गोद में, कोतुहल भय विषाद में प्रेम में प्रमोद में ।
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| 45. | -\ “ संत न छोड़े संतई, कोटिक मिलैं असंत \ ” वाले भाव में ही रहें, और आप रहते भी हैं ।
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| 46. | कफ और बलगम भरी छाती से निकले मार्क्स के ये भरभराते शब्द विश्व-भर के कोटिक श्रमिकों के कंठ से निकली आवाज बन गए.
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| 47. | कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥ मानुस हौं तो वही 'रसखान' मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
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| 48. | इसमें सभी घटनाएं जो समय के विभिन्न कालखंडों में घटी, उनके अलावा कोटिक अन्य दृश्य-अदृश्य घटनाएं भी रही होंगी-स्वतः समाहित हैं.
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| 49. | उसने अपनी सेना को वहीं रोक कर अपने मित्र कोटिकास्य से कहा, ' कोटिक! तनिक जाकर पता लगाओ कि यह सर्वांग सुन्दरी कौन है?
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| 50. | निज परिताप द्रवै नवनीता, पर दुख द्रवै सुसंत पुनीता॥ साधु संगति से सब प्रकार के दुखों का नाश होता है-कबिरा संगत साधु की हरै कोटिक व्याधि।
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