मेरे मित्र ने बताया था कि जब सूरदास ने यही अवस्था पार की थी, तभी उन्होंने वह प्रसिद्ध पद लिखा था जिसमें कहा गया है कि ‘ अब मैं नाच्यो बहुत गुपाल! ' प्रमाण? प्रमाण यही था कि ठीक आज ही, जब वे चान्द्र गणना के अनुसार 66 2 / 3 साल पूरे कर चुके हैं, इसी प्रकार के भाव उनके मन में आये हैं! मेरा मन सनाका खा गया था।