शासक वर्गों ने चार दषकों की स्वतंत्र, गुटनिरपेक्ष, दक्षिण के प्रति मित्रतापूर्ण विदेष नीति की विरासत को तिलांजलि दे दी है और वे खुलकर अमरीका-इजराइल धुरी के साथ रणनीतिक संश्रय के पक्ष में आ खड़े हुए हैं।
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स्वामी जी ने मजदूर नेता अनिल मित्रा को बिहटा किसान फ्रंट पर रख किसान नेता श्यामनन्दन सिंह को मजदूर फ्रंट पर लगा कर एक साथ संश्रय से किसान-मजदूर सफल हड़ताल करवा कर डालमिया और राजेंद्र प्रसाद की हेंकड़ी गुम कर दी।
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1921 में जब रूस में क्रान्ति के बाद से जारी गृह युद्ध समाप्त हुआ तो लेनिन ने इस बात का अहसास किया कि सोवियत संघ में अगर क्रान्ति की रक्षा करनी है तो मज़दूर-किसान संश्रय को बचाना होगा, जिसे लेनिन स्मिच्का कहते थे।
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1990 के बाद साम्राज्यवादी समूह और देशी पूँजीपति वर्ग के संश्रय से कायम आर्थिक नवउपनिवेशवादी व्यवस्था को तात्कालिक रूप से उत्प्रेरित करने वाले कारकों पर विचार करने के बाद, इसे गहराई से समझने के लिए इतिहास पर एक सरसरी नजर डालना जरूरी होगा।
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राष्ट्र नाम की कोई चेतना होती तो टीपू सुलतान के साथ मराठों, निजाम और दिल्ली दरबार का एक संश्रय बन गया होता और उसने अंगरेजों ही नहीं फ्रांसिसियों, डचों, पुर्तगालियों आदि तमाम उपनिवेशवादियों को हिंदुस्तान से निकाल बाहर किया होता.
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आज की बदली परिस्थिति में जोत के विखण्डन से एवं बढ़ती आबादी तथा बेरोजगारी के कारण संघर्ष का रूप सरकार विरोधी तय साबित होता है एवं किसान क्रांतिकारी लोग इस दिशा में किसान-मजूर संश्रय बना कर उन्मुख होते हैं तब प्रकाशन का मकसद पूरा समझा जावेगा।
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राष्ट्रीय पूँजीवाद के साथ उसके संश्रय ने किसानों को जीतने, अपना उत्पाद बेचने की उनकी अनिच्छा पर विजय पाने में मदद की, और किसानों के साथ उसके संश्रय ने अनाज और औद्योगिक कच्चा माल पाने में सहूलियत पैदा की जिससे वह पूँजीवाद को काबू कर सका ।
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राष्ट्रीय पूँजीवाद के साथ उसके संश्रय ने किसानों को जीतने, अपना उत्पाद बेचने की उनकी अनिच्छा पर विजय पाने में मदद की, और किसानों के साथ उसके संश्रय ने अनाज और औद्योगिक कच्चा माल पाने में सहूलियत पैदा की जिससे वह पूँजीवाद को काबू कर सका ।
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इस बीच आन्दोलन के नेतृत्व की संरचना और उसके समर्थकों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, भ्रष्टाचार के प्रति नेतृत्वकारी लोगों का दृष्टिकोण, आन्दोलन का तौर-तरीका और यहाँ तक कि उनके आर्थिक स्रोत, राजनीतिक पार्टियों के साथ उनके सम्बन्ध और प्रतिक्रियावादी ताकतों के साथ संश्रय को लेकर भी बहुत सारे प्रश्न उठे.
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इस बीच आन्दोलन के नेतृत्व की संरचना और उसके समर्थकों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, भ्रष्टाचार के प्रति नेतृत्वकारी लोगों का दृष्टिकोण, आन्दोलन का तौर-तरीका और यहाँ तक कि उनके आर्थिक स्रोत, राजनीतिक पार्टियों के साथ उनके सम्बन्ध और प्रतिक्रियावादी ताकतों के साथ संश्रय को लेकर भी बहुत सारे प्रश्न उठे.