इसलिए कि इसमें उत्सर्गी तंत्र की नलिकाएँ और अंडवाहिनी (ओविडक्ट,
2.
इसलिए कि इसमें उत्सर्गी तंत्र की नलिकाएँ और अंडवाहिनी (ओविडक्ट, Oviduct) खुलती हैं।
3.
परिपक्व होकर अंडे अंडवाहिनी में आ जाते हैं और वहाँ से सामान्य अंडवाहिनी (
4.
परिपक्व होकर अंडे अंडवाहिनी में आ जाते हैं और वहाँ से सामान्य अंडवाहिनी (
5.
अलावा इसके अंडाशय, अंडवाहिनी नलिकाओं, गर्भाशय इतर कायिक संरचनाओं का परस्पर रिश्ता तबदील होने लगता है.
6.
इन अंडों के बैगचियों की अवस्था में वृद्धि जनक के अलिंद (atrium) या अंडवाहिनी (oviduct) में सुरक्षित रूप में होती है।
7.
इन अंडों के बैगचियों की अवस्था में वृद्धि जनक के अलिंद (atrium) या अंडवाहिनी (oviduct) में सुरक्षित रूप में होती है।
8.
परिपक्व होकर अंडे अंडवाहिनी में आ जाते हैं और वहाँ से सामान्य अंडवाहिनी (Common Oviduct) में पहुँचकर मादा के जनन संबंधी छिद्र द्वारा बाहर निकल जाते हैं प्राय:
9.
परिपक्व होकर अंडे अंडवाहिनी में आ जाते हैं और वहाँ से सामान्य अंडवाहिनी (Common Oviduct) में पहुँचकर मादा के जनन संबंधी छिद्र द्वारा बाहर निकल जाते हैं प्राय:
10.
परिपक्व होकर अंडे अंडवाहिनी में आ जाते हैं और वहाँ से सामान्य अंडवाहिनी (Common Oviduct) में पहुँचकर मादा के जनन संबंधी छिद्र द्वारा बाहर निकल जाते हैं प्राय: एक शुक्रधानी शुक्राणु जमा करने के लिये और एक या दो जोड़ी सहायक ग्रंथियाँ भी उपस्थित रहती हैं।