हमारे समाज ने ही लोगों को समझाया है कि अंतरतः सभी बराबर है-जात, धर्म, वर्ण और जन्मजात गुणों के आधार पर फ़र्क नहीं है-पर अभी वो दिन नहीं आया जब भारत (और दुनिया) इस बात को व्यवहारिकता तक ले पाए ।
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हमारे समाज ने ही लोगों को समझाया है कि अंतरतः सभी बराबर है-जात, धर्म, वर्ण और जन्मजात गुणों के आधार पर फ़र्क नहीं है-पर अभी वो दिन नहीं आया जब भारत (और दुनिया) इस बात को व्यवहारिकता तक ले पाए ।