पुल के छोरों पर ईंट, सीमेंट आदि की बनी उन भारी संरचनाओं को अंत्याधार (
2.
पुल के छोरों पर ईंट, सीमेंट आदि की बनी उन भारी संरचनाओं को अंत्याधार (
3.
किसी पुल का पाटन सँभालनेवाले बीच के अवयव पाए और किनारेवाले अंत्याधार, या पीलपाये कहलाते हैं।
4.
प्रत्येक चौथा या पाँचवां पाया पीलपाया होना चाहिए, जिसकी चौड़ाई उतनी ही हो जितनी उठानरेखा पर अंत्याधार की।
5.
प्रत्येक चौथा या पाँचवां पाया पीलपाया होना चाहिए, जिसकी चौड़ाई उतनी ही हो जितनी उठानरेखा पर अंत्याधार की।
6.
बगली दीवारें (विंग वाल्स) और जवाबी दीवारें (रिटर्न वाल्स) खभी अलग बना दी जाती हैं, कभी अंत्याधार में जुड़ी हुई बनाई जाती हैं।
7.
शिखर से उठान आधार तक प्रत्येक ईटं या पत्थर अपना भार अगले को देता जाता है और अंततोगत्वा सारा भार अंत्याधार तक पहुँचता है।
8.
शिखर से उठान आधार तक प्रत्येक ईटं या पत्थर अपना भार अगले को देता जाता है और अंततोगत्वा सारा भार अंत्याधार तक पहुँचता है।
9.
ऊर्ध्वाधर भार सहने के अतिरिक्त अंत्याधार पुल को आगे पीछे खिसकने से और एक बगल बोझ पड़ने पर पुल की ऐंठने की प्रवृत्ति को भी रोकते हैं।
10.
मेहराबों से बने पुलों में साधारणत प्रत्येक चौथा या पाँचवाँ पाया अंत्याधार पाया मानकर अधिक दृढ़ बनाया जाता है, जिसका उद्देश्य यह होता है कि एक बयाँग के टूटने पर सारा पुल ही न टूट जाए।