मुर्दाघर में जो लोग ड्यूटी पर थे, उन्हें भी लाशें अटाना कठिन पड़ गया था।
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1: 0 0 बजे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में गायन प्रस्तुति में शुक्रवार को बड़े ग़ुलाम अलि ख़ाँ का गायन राग केदार, दरबारी, अटाना, भीमपलासी और कामोद में सुनवाया गया।
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सा होगाजैसे जगह कम पड़ने पर ख़त में लिख देते हैंआदि तिरछी लकीरों में ही सारी बातेंमुझे एक पोस्टकार्ड याद आ गयामेरी बातें हमेशा ज्यादा होती थीऔर पोस्टकार्ड में जगह कमकितनी मुश्किल से अटाना पड़ता था सब कुछअगर आँखों से नहीं उठता इतना सारा भरतो मैं कह क्यों नहीं देतीकह भी दूंगी, पर पहले जान तो जाऊँ कि क्या कहना हैक्या इतना कहना काफी होगा की मैं दुखी हूँशायद नहींवजहें ढूंढ़नीं होंगीमैं अकेला महसूस करती हूँमैं अनाथ महसूस करती हूँकुछ नहीं है माँ तुम्हारी बहुत याद आती है बस और तुम आ नहीं सकती हो