उनकी उच्च-स्तरीय सार्वजनिक और निजी जिंदगी में अतिप्रशंसा और विवाद दोनों सम्मिलित हैं।
3.
उनकी उच्च-स्तरीय सार्वजनिक और निजी जिंदगी में अतिप्रशंसा और विवाद दोनों सम्मिलित हैं।
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उनकी उच्च-स्तरीय सार्वजनिक और निजी जिंदगी में अतिप्रशंसा और विवाद दोनों सम्मिलित हैं।
5.
क्या एक ओर से सबकी निन्दा और अपनी अतिप्रशंसा करना शठ मनुष्यों की बातें नहीं हैं?
6.
एक ऐसा भी पाठ है कि इस रामके अच्छे गुणोंकी और पराक्रमोंकी अतिप्रशंसा तो होती ही थी, लेकिन उसमें एक और बात भी चलती थी कि, परपुरुष के घर रही हुई सीता को रामने कैसे अपनाया?