तुलनात्मक आंकड़े देकर मैं केवल इतना बताना चाहता हूं कि इस नए फ्लू का अतिमूल्यांकन न करें।
2.
ठीक है, क्योंकि इस वक्त हम एक नयी बीमारी से घिरे हैं, तो सतर्कता बरतें लेकिन अतिमूल्यांकन करने से बचें।
3.
मनुष्य की जीवन-सक्रियता के लिए संवेदनों के महत्त्व का अतिमूल्यांकन शायद ही किया जा सकता है, क्योंकि विश्व तथा अपने विषय में हमारे ज्ञान का स्रोत ये ही हैं।
4.
इसके विपरीत यदि वह अपना अतिमूल्यांकन करता है, परिस्थितियों का सही विश्लेशण नहीं कर पाता, असंभाव्य लक्ष्य चुन लेता है, सही योजनाएं नहीं बना पाता, संयोगों या भाग्य के भरोसे रहता है, तो जाहिर है वह अपने लिए उदासी और दुखों को ही बुन रहा होता है।