महीनों से स्थिति को निरापद देखकर अन्य छुटभैये भी अतिसतर्क नहीं रखे जा रहे थे।
2.
वह वहीं रहा करता था, ख़ूबसूरती से टहलता हुआ, इशारों में बात करता बोलता हुआ ; वह किसी अतिसतर्क, बेहद लचीले देवदूत की तरह मुस्कराता था और उसकी मुस्कान विनम्रता से पैदा हुए उस आखिरी फूल जैसी होती थी जो स्वयं को प्रस्तुत करते ही वापस लौट जाता था, खुद को खर्च कर चुकने के बाद ईर्ष्या के साथ अपने ही भीतर बन्द हो जाता हु आ.