द्वारा उसे बाहरी परिपथ में अदिष्ट धारा के रूप में प्राप्त किया जाता है।
2.
भगवान महावीर से पहले यजुर्वेद में ऋषभदेव, अजितनाथ और अदिष्ट नेमि इन तीन तीर्थंकरों के नाम का उल्लेख है।
3.
दिष्ट धारा जनित्र के आर्मेचर में भी इसी प्रकार की वोल्टता प्रेरित होती है, पर एक दिक्परिवर्तक (commutator) द्वारा उसे बाहरी परिपथ में अदिष्ट धारा के रूप में प्राप्त किया जाता है।
4.
दिष्ट धारा जनित्र के आर्मेचर में भी इसी प्रकार की वोल्टता प्रेरित होती है, पर एक दिक्परिवर्तक (commutator) द्वारा उसे बाहरी परिपथ में अदिष्ट धारा के रूप में प्राप्त किया जाता है।