बढ़े हुए अधिक्षेप, अनृप भाषण आदिरूप प्रचण्ड कल्लोल शब्दों से युक्त अतएव उक्त तरंगों से तरल आकारवाली और एक विषय से दूसरे विषय की ओर जाने वाली तृष्णारूपी नदी मेरे शरीररूपी पर्वत में बह रही है।।
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परन्तु यहां पर आदमी ने एक लम्बी दीवार बनाकर समुद्र की लहरों को बेहद छेड़ा है, और अब इतने साल हो गये फिर भी लहरें इस अधिक्षेप (अपमान) को न तो आज तक सह सकी हैं, न आगे सहने वाली हैं।
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अब संपूर्ण प्रजा की श्रद्धा, पर्यावरण सुरक्षा, सागरी सीमा सुरक्षा, थोरियम जैसे मूल्यवान व दुर्मिल धातूओं के प्राकृतिक भंडारों की सुरक्षा, तटीय निवासी जनता का रोजगार आदि सबकी अपमानजनक अवहेलना की जा रही है, तथा स्वयं ही के द्वारा नियुक्त समिति की अनुसंशा का अधिक्षेप कर केन्द्र शासन में बैठे लोग सत्तास्वार्थ के लिए रामसेतू को तोड़कर ही सेतूसमुद्रम् प्रकल्प पूर्ण करने पर तुले हैं।