तीसरी सदी के मध्य में सातवाहन राज्य की अनति हो जाने से विंध्यशक्ति को अवसर मिल गया तो भी उसका यश स्थायी न रह सका।
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तीसरी सदी के मध्य में सातवाहन राज्य की अनति हो जाने से विंध्यशक्ति को अवसर मिल गया तो भी उसका यश स्थायी न रह सका।
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अ-नति (नम्रता का अभाव): अनति (थोड़ा), अ-परस (जिसे किसी ने न छुआ हो): अपरस (एक चर्म रोग), भू-तत्व (पृथ्वी-तत्व): भूतत्व (भूत होने का भाव) आदि समस्त पदों की भी यही स्थिति है।
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अ-नति (नम्रता का अभाव): अनति (थोड़ा), अ-परस (जिसे किसी ने न छुआ हो): अपरस (एक चर्म रोग), भू-तत्व (पृथ्वी-तत्व): भूतत्व (भूत होने का भाव) आदि समस्त पदों की भी यही स्थिति है।
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अ-नति (नम्रता का अभाव): अनति (थोड़ा), अ-परस (जिसे किसी ने न छुआ हो): अपरस (एक चर्म रोग), भू-तत्व (पृथ्वी-तत्व): भूतत्व (भूत होने का भाव) आदि समस्त पदों की भी यही स्थिति है।
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इतिहास वेत्ताओ ने इस संबन्ध में एक निष्कर्ष यह भी निकाला कि ऋषिकेश मंदिर के अधोतल में स्थित पतालेश्वर महादेव से थोडी दूर पर इस गण प्रमुख एवं अनति पर स्थित वीरभद्र प्रधानगण स्थित होने के कारण प्राचीन तट पर शैव तीर्थ पर परवर्तीकाल में क्रमश: वैष्णव संप्रदाय और पश्चात रामावत तथा शक्ति संप्रदाय का भी युग विशेषों में प्रभाव रहा है ।