बीते दिनों का अनबीता बयान एक संग्रहालय स्वयं का स्वयं के लिए।
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बीते दिनों का अनबीता बयान एक संग्रहालय स्वयं का स्वयं के लिए।
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सँ-११ ० १ ४ अनबीता व्यतीत, कमलेश्वर, पृ.
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सँ-१ ३ ० १ ३ अनबीता व्यतीत, कमलेश्वर, पृ.
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-बीते दिनों का अनबीता बयान ' बीतता कुछ भी नहीं है'...यह निर्मल वर्मा कहते हैं और यह भी कि 'समय वहाँ-वहाँ है, जहाँ-जहाँ हम बीते हैं।'
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अनबीता अतीतअर्से बाद तुम्हारा भोर के ख्वाव में आनाबदली भरी सुबह कोगुमसुम कर देता है जानी-पहचानी वही तुम्हारी मुस्कानअनमनी सी आंखों से तिरछी तिरछी हंसी तुम्हारीजो समेटी थी कोई अनकही पीरवर्षों से रूखी बंजर जमीं पर हल्की बरसात के बाद की उमस उनींदी उनींदी सी...
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अनबीता अतीतअर्से बाद तुम्हारा भोर के ख्वाव में आनाबदली भरी सुबह कोगुमसुम कर देता है जानी-पहचानी वही तुम्हारी मुस्कानअनमनी सी आंखों से तिरछी तिरछी हंसी तुम्हारीजो समेटी थी कोई अनकही पीरवर्षों से रूखी बंजर जमीं पर हल्की बरसात के बाद की उमस उनींदी उनींदी सी
परिभाषा
/ शर्तों के अधीन रहते हुए किसी वर्ष की अव्यतीत अवधि में छूट दी जा सकती है" पर्याय: अव्यतीत, अगत, अविगत,