पिटाई के दृश् य में कल् पना के मेल से भयावहता और बढ़ जाती है-' डर के लिहाफ में लिपटकर अनावृत् त दौड़ती भव् य स् त्री.
3.
वह लगभग अनावृत् त थी-पेट की चमड़ी सूख गई थी-आड़ी-तिरछी लकीरें, अनगिन झुर्रियाँ थीं, पेड़ू और उसके नीचे रोमहीन-सूखी-सी योनि-सब कुछ दिखाई दे रहा था-'' अब मुझमें किसी चीज को ले कर कोई शर्मिंदगी नहीं बची है।