कि किस प्रकार की अनिश्चयात्मकता में वे जीवन काट देते हैं, कितनी छोटी
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एक सप्ताह की अनिश्चयात्मकता के बाद अंत में समझौता होसका और राजा रामगढ़ ने निश्चय किया के वे अपना वह पत्र वापस ले लेंगेजिसमें उन्होंने गवर्नर को यह सूचना दी थी कि उनका दल पासवान मंत्रिमण्डलका समर्थन नहीं करेगा.
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इससे उत्पन्न होने वाले संत्रास को झेलने वाले इसे अधिक बेहतर रूप में बता सकते हैं कि किस प्रकार की अनिश्चयात्मकता में वे जीवन काट देते हैं, कितनी छोटी बातों पर परिवार टूट जाते हैं, बच्चे कितने अकेले हैं, क्यों वहाँ का नवयुवावर्ग नशे में झोंक रहा है स्वयं को, क्यों मनोविकार ग्रस्तों की संख्या में अंधाधुंध बढ़ोतरी हो रही है व क्यों वृद्धाश्रमों में कुंठित जीवन की यंत्रणा झेलते अकेले मर जाना होता है।