उग्र भग तो शत्रुओं से रक्षा करता है, जबकि अनुग्र भग रत्न बन जाता है ।
4.
विकास की पहचान विकास की पहचान “ हमारे प्रभु, और उद्धारकर्त्ता यीशु मसीह के अनुग्र ह और पहचान में बढ़ते जाओ ” ।
5.
प्रार्थना-महान् परमेश् वर, हमें ऐसा मन फिराव दीजिए कि हम आप पर विश् वास करें और आपके अनुग्र ह का अनुभव कर सकें।
6.
यदि संसार में मनुष् यों में व् याप्त पापों में वृद्धि हुई तो परमेश् वर के अनुग्रह में उससे भी अधिक वृद्धि हुई-यह बात परमेश् वर के मनुष् य के प्रति अपार प्रेम को प्रगट करती है पर इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि अधिक अनुग्र ह, प्रेम व दया पाने के लिए हम पाप करते करते जाएं।