यह शोथ तीव्र, अनुतीव्र चिरकालिक वर्ग में तथा यक्ष्मज और वृद्धताजन्य में विभाजित होता है।
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(७) संक्षेप में तीव्र वृक्क शोथ में प्रफलन (फ्रोलि-~ ङेरटिओन्), अनुतीव्र मेंअपजनन (ढेगेनेरटिओन्) और जीर्ण अवस्था में क्षय (आट्रोप्ह्य्) तथा व्रणवस्तुभवन (श्चर्रिन्ग्) अधिक होता है.