| 1. | साधना में अनेक अन्तराय (विघ्न) होते हैं।
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| 2. | से विघ्न या अन्तराय पड़ते हैं।
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| 3. | 8. अन्तराय कर्म-वह कर्म, जिससे आत्मा की लब्धि में विघ्न पड़े।
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| 4. | कौन मद्ध पीता है? कौन अन्तराय कारक कर्मों को करता है?
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| 5. | कौन मद्ध पीता है? कौन अन्तराय कारक कर्मों को करता है?
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| 6. | पेश कर सकूं, तो मुझे यह कहना पडेगा कि हमें शरीरका अन्तराय भी नहीं
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| 7. | दशम द्वार ब्रह्मरन् ध्र है जिसके पास तक पहुँचने में बहुत से विघ्न या अन्तराय पड़ते हैं।
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| 8. | जिस कर्म के उदय से किसी कार्य में विघ * आ जाए उसे अन्तराय कर्म कहलाता है।
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| 9. | विहारक्रम भी शुरू हुआ पर परिस्थितिवशात् या अन्तराय कर्मवशात्, उनकी दीक्षा के पुण्य पल उनसे दूर खिसकने लगे।
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| 10. | जो दान, लाभ, भोग, उपभोग व वीर्य में विघ्न करता है वह अन्तराय कर्म है * ।
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