भारतीय कल्याणकारी राज्य से अपेक्षाए¡ बढ़ रही थीं कि इस वक्त भी भारतीय समाज के आभिजात्य का समय बोध सचमुच 1950 में था, जो भारतीय राज्य की शक्ति एवं सुविधाओं को ज्यादा से ज्यादा हथिया लेना चाहता था, वहीं दलित पिछड़े एवं उपेक्षित तबके अभी भी आ$जादी की लड़ाई के दिनों में अपने सरवाइवल के लिए अंग्रेजी साम्राज्य के दंश से उबरने, क्रिमिनल ट्राइब एक्ट इत्यादि से मुक्ति की स्थिति बनने के सपने में पड़े थे।