उन्होंने कहा कि संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है कि इसकी रचना ब्रह्मांड की ध्वनियों से हुई है।
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उन्होंने कहा कि-संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है कि इसकी रचना बृह्मांड की ध्वनियों से हुई है ।
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अपनी सुरीली बोली से लोगों के दिल लुभा लेने वाली चिड़ियां संध्या का समय निकट जान अपने घोंसले के चारों तरफ फुदक-फुदककर अपने अपौरुष बच्चों को चैतन्य करती हुई कह रही हैं कि लो मैं बहुत दूर से तुम लोगों के लिये दाना-पानी अपने पेट में भर लाई हूं जिससे तुम्हारी संतुष्टि की जाएगी।