उपर्युक्त विवेचन के साथ जब हम उनके अप्रस्तुतान्वय या
2.
अत: उपर्युक्त विवेचन के साथ जब हम उनके अप्रस्तुतान्वय या सादृश्यविधान पर विचार करते हैं, तब देखते हैं कि रसात्मक प्रसंगों में अधिकांश भाव के अनुरूप ही अनुरंजनकारी अप्रस्तुत वस्तुओं की योजना हुई है।