आदरणीय सर, सरल किन्तु असाधारण जीवन को अभिव्यत करती कविता.
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हकीकत को बहत अच्छे ढंग से अभिव्यत किया है आप ने।
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हकीकत को बहत अच्छे ढंग से अभिव्यत किया है आप ने।
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और इन प्रयासों में एक सफ़ल और सशक्त कड़ी है साहित्य जो अपने आप को अपनी अरबी लिपि में अभिव्यत करता चला आ रहा है..
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स्वदेश भारती कोलकाता-13. 05.12 जीने की कशिश मैंने सभी अर्थों को जानने का यत्न किया शब्द और अर्थ को पहचान कर यह जीवन जिया किन्तु सम्बन्धों के विविध संदर्भों के बीच मनुष्य के भीतर छिपे सत्य-असत्य के अर्थ को जीवन पर्यन्त समझने की कशिश से दूर होता गया क्योंकि संबंधों का चोला बदलता रहा नया नया कभी अपनी अंतर-पीड़ा अभिव्यत किया कभी पुराने फटे-कटे संबंधों को सी लिया उसे भी जिया अनपेक्षित, अनचाहा बस जितना जिया प्रारब्ध बन गया।