अभिष्यंद गुण / कर्म, शरीर के स्रोतों (चेनल्स) धमनी आदि में अवरोध उत्पन्न करता है।
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अभिष्यंद गुण / कर्म, शरीर के स्रोतों (चेनल्स) धमनी आदि में अवरोध उत्पन्न करता है।
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अभिष्यंद गुण / कर्म, शरीर के स्रोतों (चेनल्स) धमनी आदि में अवरोध उत्पन्न करता है।
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अभिष्यंद गुण के कारण ही इसे अतिसार रोग होने पर प्रयोग किया जाता है जिससे अतिसार बंद हो जाता है।
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अभिष्यंद गुण के कारण ही इसे अतिसार रोग होने पर प्रयोग किया जाता है जिससे अतिसार बंद हो जाता है।
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अभिष्यंद गुण के कारण ही इसे अतिसार रोग होने पर प्रयोग किया जाता है जिससे अतिसार बंद हो जाता है।
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दही का प्रयोग कोलेस्ट्राल बढ़ने पर न करें क्योंकि दही में एक आयुर्वेदोक्त विशेष गुण ‘ अभिष्यंद ' होता है।
8.
-यदि आँखों में लालिमा का कारण अभिष्यंद (कंजाक्तिविटिस) हो तो 250 मिलीग्राम रसांजन में 25 मिली गुलाबजल मिलाकर आँखों में एक बूंद टपका देने से लाभ मिलता है।
9.
. 10. रीठा. रीठा:. सरल अभिष्यंद (मोतियाबिंद) में रीठे के फल को पानी में उबालकर इस पानी को पलकों के नीचे रखने से लाभ होता है।
10.
-बच्चों में दंतोद्भावन (दांत निकलते समय) कभी-कभी आँखों में अभिष्यंद (कंजनटीवायटीस) में ताजे कोमल पत्ते लेकर पानी में पकाकर चतुर्थांश शेष रहने पर छानकर आँखों को धोने से लाभ मिलता है I