विश्लेषण वस्तु का उसके विभिन्न घटकों में विभाजन और उसके विभिन्न पहलुओं, तत्वों, गुणधर्मों, संबंधों, आदि का समष्टि (collectivity, totality) से अपाकर्षण (abstraction, अमूर्तकरण) करने को कहते हैं ।
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हर किस्म की मानवता का अमूर्तकरण और मानवता का ढोंग भी, पूर्ण विकसित सर्वहारा में व्यवहारत: पूरा हो जाता है, सर्वहारा के जीवन की शर्तें वर्तमान समाज की सभी अवस्थाओं को सर्वाधिक अमानवीय केंद्रबिंदु तक पहुंचा देती है, मनुष्य सर्वहारा में खो जाता है लेकिन साथ ही उस बर्बादी की सैद्धांतिक चेतना प्राप्त कर चुका होता है और इस अमानवीयता के खिलाफ विद्रोह के लिए प्रेरित हो जाता है।