पितृ-श्राद्ध के लिए सामर्थ्यानुसार अयुग्म तथा वैश्व-देव-श्राद्ध के लिए युग्म ब्राह्मणों को निमंत्रित करना चाहिए।
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पितृ-श्राद्ध के लिए सामर्थ्यानुसार अयुग्म तथा वैश्व-देव-श्राद्ध के लिए युग्म ब्राह्मणों को निमंत्रित करना चाहिए।
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अयुग्म (azygos) शिरा उदर से प्रारंभ होकर वक्ष में आकर, चौथे कशेरुक पर ऊर्ध्वमहाशिरा में खुल जाती हैं।
5.
युग्म तिथि वाली रात में सम्भोग करने से पुत्र और अयुग्म रात में सम्भोग करने से पुत्री का जन्म होता है ।
6.
में इलेक्ट्रानों की अयुग्म संख्या होती है, और इसलिये उसमें किसी भी ऊर्जा स्थिति में एक या अधिक अयुगल इलेक्ट्रान होना आवश्यक होता है.
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“अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने बताया है, अल्लाह के निन्नानवे नाम इसलिए हैं क्योंकि अल्लाह खुद 'वित्र ' यानी अयुग्म (
8.
परन्तु ऐसा नहीं है कि अयुग्म दिनों में अर्थात पांचवीं, सातवीं एवं नौवीं रात्रि को यौन सम्बन्ध बनाने से संतान की प्राप्ति नहीं होगी।
9.
अयुग्म फोटो-फोस्फोरीलेशन में पानी के अपघटन के कारण इलेक्ट्रोन निरन्तर प्राप्त होते है तथा फोटो-फोस्फोरीलेशन की क्रिया पर क्लोरोफिल में प्रकाश ऊर्जा से एटीपी का निर्माण होता रहता है।
10.
प्रचलन के लिए अंस तथा श्रोणि पख (पेक्टोरल ऐंड पेल्विक फ़िन्स, Pectoral and pelvic fins) और अयुग्म पृष्ठीय (dorsal), औदरिक तथा पुच्छ पंख होते हैं।