इस अच्छे लगने के पीछे शब्द और उसके अर्थ-ग्रहण का भाव निहित है ।
3.
बाकी उत्तरापथ भाड़ में जाय मुल आप जैसे विज्ञ को छोड़ किसी को अर्थ-ग्रहण में दिक्कत नहीं हुई, इसके लिये भी आश्वस्त हूँ!
4.
संप्रेषण की स्थितियों को समझे बिना काव्य का मूल्यांकन तो दूर, सही अर्थ-ग्रहण भी नहीं हो सकता-उसका कथ्य भी ठीक-ठीक नहीं पहचाना जा सकता।
5.
बाकी उत्तरापथ भाड़ में जाय मुल आप जैसे विज्ञ को छोड़ किसी को अर्थ-ग्रहण में दिक्कत नहीं हुई, इसके लिये भी आश्वस्त हूँ! ;-)
6.
इन सारे प्रश्नों की पृष्ठभूमि में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का ' कविता क्या है' निबंध का यह कथन तो है ही-“काव्य में मात्र अर्थ-ग्रहण से काम नहीं चलता, बिम्ब ग्रहण अपेक्षित होता है”।
7.
दूसरी बात, जैसा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का कहना था कि ” कविता मे अर्थ-ग्रहण के बजाय बिम्ब-ग्रहण प्रमुख होता है, अर्थात वहाँ जो अर्थ आता है वह बिम्ब के माध्यम से आता है।
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इन सारे प्रश्नों की पृष्ठभूमि में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का ' कविता क्या है ' निबंध का यह कथन तो है ही-“ काव्य में मात्र अर्थ-ग्रहण से काम नहीं चलता, बिम्ब ग्रहण अपेक्षित होता है ” ।
9.
इसलिए मेरी कविताओं के अर्थ-ग्रहण में सावधानी बरतनी होगी. आयोजन के आरंभ में ‘ सामयिक परिवेश ' की अध्यक्ष ममता मेहरोत्रा ने स्वागत किया, जबकि उपन्यासकार अषोक कुमार सिन्हा ने कुँवर जी के काव्य-व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला.
10.
पाठ अर्थ-ग्रहण के ऐसे प्रयत्न गलत दिशा में होंगें क्योंकि ऐसा करने से हम उस दृष्टि से वंचित हो जाते हैं जो हमें उन सांस्कृति अंतरधाराओं को देख पाने में सक्षम बनाती जिसने मघ्यकालीन और आंरभिक भारतीय संस्कृति का निर्माण किया है, वह संस्कृति जिसे नाथ योगियों और घुमक्कड कवियों ने एक इलाके से दूसरे में भटकते हुए निर्मित किया-उपमहाद्वीप के इतिहास में सचमुच ही एक नया क्षण.