संज्ञा
| जैनशास्त्र के अनुसार गड़ी, छिपी या दबी हुई चीजें दिखाई देने की क्रिया या वह जिसके द्वारा जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी, अंधकार तथा छाया से व्यवहृत द्रव्यों का प्रत्यक्ष ज्ञान हो और आत्मा का भी ज्ञान हो:"अवधिदर्शन के पूर्व सामान्य सत्ता का प्रतिभास होता है" पर्याय: अवधिदर्शन, अवधि-दर्शन, अवधि-ज्ञान,
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