| 1. | यही अविकृत धर्म है और इससे अधिक कुछ नहीं।
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| 2. | वह स्वरूप से अविकृत रहता है।
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| 3. | विचारों की छाया चित्त को अविकृत नहीं रहने देती ।
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| 4. | गीता मे कहा गया है आत्मा अनश्वर और अविकृत है ।
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| 5. | निराम दोष समानतया प्राकृत या अविकृत दोषों को कहा जाता है ।।
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| 6. | मस्तिष्क की अविकृत क्रियाओं के द्वारा, वाह्य जगत् के जो अनुभव होते हैं
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| 7. | वे सब मनुष्यों में समान होते हैं और अन्त: करण की अविकृत क्रियाओं के
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| 8. | वृत्तियाँ जड़ क्रिया के अन्तर्गत की गई हैं, केवल उनका ज्ञान अविकृत रूप से
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| 9. | यह अविकृत परिणामवाद श्री वल्लभाचार्य के ब्रह्मवाद या शुद्धाद्वैत दर्शन की महत्त्वपूर्ण धारणा है।
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| 10. | यह अविकृत परिणामवाद श्री वल्लभाचार्य के ब्रह्मवाद या शुद्धाद्वैत दर्शन की महत्त्वपूर्ण धारणा है।
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