| 1. | ऐसी दशा में अविरूद्ध संचारी यदि भाव का
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| 2. | अविरूद्ध संचारी ही प्रकट हो सकते हैं।
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| 3. | चाहिए जिसके आधार पर रसविरोध तथा विरूद्ध, अविरूद्ध संचारियों की व्याख्या
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| 4. | स्थायी दशा को विरूद्ध या अविरूद्ध कोई भाव संचारी रूप में आकर तिरोहित
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| 5. | अविरूद्ध संचारी के अनुभाव आदि द्वारा ही भाव की भी व्यंजना हो जाती है।
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| 6. | ५. अविरूद्ध वीर्य वाले आहार लें-परस्पर विरूद्धवीर्य (गुण व शक्ति) का भोजन रोग उत्पन्न करता है।
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