| 1. | किसी सब तरफ से घिरे तथा असंपीड्य (
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| 2. | सब तरफ से घिरे तथा असंपीड्य (
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| 3. | वे असंपीड्य और कठोर होते हैं।
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| 4. | श्यानताहीन, अर्थात् घर्षणहीन, असंपीड्य तथा समांग तरल को परिपूर्ण तरल (
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| 5. | समीकरण के अनुसार किसी भी असंपीड्य तरल, जैसे कि जल का निस्सरण (
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| 6. | श्यानताहीन, अर्थात् घर्षणहीन, असंपीड्य तथा समांग तरल को परिपूर्ण तरल (Perfect fluid) कहते हैं।
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| 7. | तब तरल को असंपीड्य नहीं माना जा सकता और दाब, घनत्व तथा ताप के पारस्परिक संबंध का ज्ञात होना आवश्यक है।
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| 8. | तब तरल को असंपीड्य नहीं माना जा सकता और दाब, घनत्व तथा ताप के पारस्परिक संबंध का ज्ञात होना आवश्यक है।
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| 9. | सभी दिशाओं में सममित होता है और यदि दाबसंकेतों का वेग अनंत माना जा सके, तो अवध्वानिक प्रवाह असंपीड्य प्रवाह जैसा हो जाता है।
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| 10. | किसी सब तरफ से घिरे तथा असंपीड्य (incompressible) द्रव में यदि किसी बिन्दु पर दाब परिवर्तित किया जाता है (घटाया या बढ़ाया जाता है)
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