अ पाहिज के लिए बेहद असम्मानपूर्ण विशेषण है लूला-लंगड़ा ।
2.
कल्पना करें कि जिस घर में यह अनुष्ठान नियमित रूप से होता रहे उस घर के पुरुषों में स्त्री के प्रति किसी प्रकार का असम्मानपूर्ण भाव आ सकेगा? उस घर के लड़कों में भी स्त्री के प्रति बचपन से ही आदर का भाव पैदा होगा और उसका प्रभाव उनके भावी जीवन पर भी पडेगा..
3.
स्त्री के प्रति समाज के असम्मानपूर्ण और अमर्यादित आचरण पर चिंता व्यक्त करते हुए विष्णु प्रभाकर (जिनकी इस वर्ष शताब्दी है) ने 1992 में ही अपने उपन्यास ‘ अर्द्धनारीश्वर ' में यह प्रश्न किया था कि ‘ क्यों भरे रहते हैं हर रोज दैनिक पत्र बलात्कार की शर्मनाक घटनाओं से? क्यों बुद्धिजीवी हर क्षण बहस करते हैं इस शब्द को लेकर? देश की संसद में भी गूँजता रहता है यही एक शब्द बार-बार, पर कहीं कुछ होता क्यों नहीं? शब्द, शब्द और शब् द.