पुष्प अग्रस्थ, अथवा असीमाक्षी (racemose) या सीमाक्षी (cymose) होता है।
2.
पार्श्व शाखाएँ या तो अनिश्चित रूप से बढ़ती चलती है, जिसे असीमाक्षी (
3.
शाखाक्रम तैयार हो जाता है, पर नाइलेजा आदि में इसी रूप से असीमाक्षी (
4.
प्राय: इस पुष्प के नीचे पत्ती के कक्ष से ससीमाक्षी (eymose) शाखाक्रम तैयार हो जाता है, पर नाइलेजा आदि में इसी रूप से असीमाक्षी (racemose) शाखाक्रम बनता है।
5.
पार्श्व शाखाएँ या तो अनिश्चित रूप से बढ़ती चलती है, जिसे असीमाक्षी (recemose) शाखा विन्यास कहते हैं, या वह जिसमें शाखाओं की वृद्धि रुक जाती है और जिसे समीमाक्षी (Cymose) विन्यास कहते हैं।
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पार्श्व शाखाएँ या तो अनिश्चित रूप से बढ़ती चलती है, जिसे असीमाक्षी (recemose) शाखा विन्यास कहते हैं, या वह जिसमें शाखाओं की वृद्धि रुक जाती है और जिसे समीमाक्षी (Cymose) विन्यास कहते हैं।