कर असु रक्षित, सुरक्षित हो सर्वथा राजता है रावण यों महाशक्ति-अंक में शोभित कलंक हो ज्यों मंजुल मयंक में, अत एव वध अब उसका असाध्य है और असुकर है।
2.
कर असु रक्षित, सुरक्षित हो सर्वथा राजता है रावण यों महाशक्ति-अंक में शोभित कलंक हो ज्यों मंजुल मयंक में, अत एव वध अब उसका असाध्य है और असुकर है।'' धिक बल, धिक शक्ति, धिक पराक्रम है माया का सहारा अब अन्तिम सहारा है।