क्योंकि पी. ए. एस. खिलाई जा सकती है. आइसोनियाजिड कोस्ट्रोप्टोमाइसीन या पी.
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माइकोबैक्टीरियम क्षयरोग जाता है आइसोनियाजिड प्रतिरोधी और रिफम्पिं और कभी कभी सार्वभौमिक आम उपचार के लिए प्रतिरोधी.
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कैसे होता है टीबी का उपचार? चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरक्यूलोसिस की निदेशक सौम्या स्वामीनाथन कहती हैं, ‘ डॉट्स के तहत फिलहाल मरीज को जो उपचार दिया जा रहा है, उसमें हम उसे एंटीबायोटिक्स, आइसोनियाजिड, रिफेमपिसिन, पाइराजिनामाइड और स्ट्रेप्टोमाइसिन जैसी दवाएं देते हैं।