बरसाती पानी में गिर गयी और अब ऊपर बस खुली नंगी छत थी, आकांक्षाहीन
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कुछ दिन और वह निरर्थक उद्देश्यहीन मेहनत, वह अनदेखती आँखों की पढ़ाई उसके बाद आकांक्षाहीन होकर परीक्षा में बैठना ; फिर उसका भी अन् त...
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हो सकता है कि हमेशा से यहीं रहती आयी हो, और हो सकता है कि हमेशा यहीं रहती चली जाए! इन्हीं पहाड़ों की तरह निरन्तर बदलती हुई, लेकिन अन्तहीन और आकांक्षाहीन!
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हमारे आसपास पता नहीं कितनी लड़कियाँ हैं, जो विजया के रूप में जन्म लेती हैं और जिंदगी की आखिरी साँस तक विजया ही बनी रहती हैं-लाजवंती, लोक-भीरु, आज्ञाकारी, आकांक्षाहीन और....
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हमारे आसपास पता नहीं कितनी लड़कियाँ हैं, जो विजया के रूप में जन्म लेती हैं और जिंदगी की आखिरी साँस तक विजया ही बनी रहती हैं-लाजवंती, लोक-भीरु, आज्ञाकारी, आकांक्षाहीन और गृहस्थी के बाहर के सरोकारों से उदासीन।