-टिप्पणी कारों का क्या है अधिकाश बिना सोचे-समझे, विषय-भाव व दूर्गामी-प्रभाव संप्रेषण को सोचे बगैर, आधुनिक् दिखने की होड में-हां जी हां जी....
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साहित्य की शास्त्रिय् परम्परा से लेकर उपन्यास, नई कविता, नवगीत आदि तमाम आधुनिक् साहित्यिक प्रवृत्तियों को यदि एक साथ देखना है तो नागार्जुन के साहित्य में देखा जा सकता है।
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साहित्य की शास्त्रिय् परम्परा से लेकर उपन्यास, नई कविता, नवगीत आदि तमाम आधुनिक् साहित्यिक प्रवृत्तियों को यदि एक साथ देखना है तो नागार्जुन के साहित्य में देखा जा सकता है।