फोर भी प्रशांति अंतरात्मा रूप में वे निरंतर आनंद-मग्न रहते हैं।
3.
अत-~ एव, सभी आनंद-मग्न थे किंतु, सबके मन में कारण जानने की जिज्ञासा थी.
4.
उन्हें देखकर लगा कि जीवन में उन्होंने बहुत-कुछ झेला है ; लेकिन वे आनंद-मग्न है ।
5.
शरीर चाहे निढाल-सा हो रहा है, शरीर का रोग चाहे जाने का नाम ही नहीं ले रहा, किन्तु आत्मा आनंद-मग्न है।
6.
ब्रह्मा, विष्णु, महेश और नारद की सम्मिलित स्तुति की ध्वनि जिस समय अंतःपुर में पहुंची, उस समय परात्पर ब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण एवं आद्याप्रकृति भगवती श्रीराधा रत्नसिंहासन पर आसीन आनंद-मग्न थे।