इसके लिए जरूरी है कि भारत अपने बाजार निरंतर डायस्पोरा के लिए खोल दें और उनकी आसंजकता तथा सहक्रियात्मकता के दोहन से संभावी व्यापार के अवसरों का विकास किया जा सके।
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इसके लिए जरूरी है कि भारत अपने बाजार निरंतर डायस् पोरा के लिए खोल दें और उनकी आसंजकता तथा सहक्रियात् मकता के दोहन से संभावी व् यापार के अवसरों का विकास किया जा सके।