| 1. | बजे! आहा! सुनकर ही आनन्द आ गया।
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| 2. | काले-काले धाब्बे क्यों हैं? क्या कोई बतलावेगा!!! आहा! यह कमल सी
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| 3. | और उसमें किसी विकल्प की गुंजाइश न रहने पर.... आहा!
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| 4. | मधुकरी: आहा! तपोबन रिषि मुनि लोगों को कैसा सुखदायक होता है।
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| 5. | 25 वे मन में न कहने पाएं, कि आहा! हमारी तो इच्छा पूरी हुई!
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| 6. | रानी: (उसी घर के दरवाजे से झांककर) आहा! मैं निस्सन्देह ठगी गई, (प्रगट)
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| 7. | उ.: (शैव्या को भली भांति देखकर आप ही आप) आहा! यह निस्संदेह किसी बडे़
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| 8. | सू.: सुनकर आनन्द से, आहा! वह देखो मेरा प्यारा छोटा भाई शुकदेव जी बनकर
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| 9. | राजा: (कर्पूरमंजरी का हाथ पकड़ कर आप ही आप) आहा! इसके कोमल कर स्पर्श से
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| 10. | उ.: (शैव्या को भली भांति देखकर आप ही आप) आहा! यह निस्संदेह किसी बडे़ कुल की है।
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