विषय इस अपेक्षा-~ वृत्ति का लक्ष्य या पर्यवसान-स्थल है. विषय को प्रायः ही इतर, अनात्म और प्रतिरोधक के रूप में परिभाषित कियागया हैः सांख्य ने इस इतरत्व को विषय की आन्तर संरचना के रूप में देखा हैऔर सार्त्र ने विषयी की आन्तर संरचना के रूप मे, किन्तु वास्तव में यहविषयमात्र का अनिवार्य लक्षण नहीं है.