| 1. | तदनुसार दोप्रकार से इदंता सिद्ध हो सकती है.
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| 2. | अतः पदार्थ होने के नाते वस्तु की इदंता कोकिसी अन्य प्रकार से सिद्ध नहीं किया जा सकता.
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| 3. | परन्तु वहां एक अन्य विशेष विचारणीयबात है वस्तु की इदंता को सिद्ध करने में भाषा के योगदान की.
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| 4. | इस प्रकार सभी बौद्धेतरसम्प्रदायों में अस्तित्व की इदंता को सिद्ध करने के लिये भाषा का वस्तु-निर्देशक रूप माना गया है.
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| 5. | अतः निर्देशक रूप में भाषा ब्रह्म के सन्दर्भ में कारगर नहीं हो सकती परब्रह्म की इदंता आत्मज्ञान में प्रस्फूटित होती है.
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| 6. | वस्तु वही है अतःउसका एक से अधिक विधेय हो ही नहीं सकता, जो उसके स्वभाव या इदंता को यथार्थरूप में बतला सके.
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| 7. | ये चारों कथन, जैसा कि स्पष्ट है, एक दूसरे को खण्डित करदेंगे क्योंकि उनमें से एक ही इदंता को बतलाएगा, शेष नहीं.
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| 8. | यहां तक कि किसीवस्तु को `यह है ' के रूप में जानना भी भाषा पर आधारित है, जिसके बिना उक्तवस्तु की इदंता नहीं बनेगी.
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| 9. | साथ ही हम यह भी पाते हैं कि अद्वैत वेदान्तजैसे दर्शन में भाषीय इदंता से भिन्न प्रकार की इदंता भी संभव मानी गयीहै.
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| 10. | साथ ही हम यह भी पाते हैं कि अद्वैत वेदान्तजैसे दर्शन में भाषीय इदंता से भिन्न प्रकार की इदंता भी संभव मानी गयीहै.
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