गीता शाश्वतवाद तथा उच्छेदवाद की तरह किसी एकांगी अवधारणा का प्रतिपादन नहीं करती, बल्कि आध्यात्मिक चिंतन का व्यावहारिक जीवन के साथ सुन्दर समन्वय प्रस्तुत करती है जिसमें ज्ञान, भक्ति व कर्म तीनों का समावेश दिखाई देता है।
परिभाषा
वह दार्शनिक सिद्धांत जिसके अनुसार आत्मा वास्तव में कुछ भी नहीं है:"वे उच्छेदवाद के समर्थक है" पर्याय: उच्छेद-वाद, उच्छेद_वाद,