आदि ने इसकी चार अवस्थाएँ बताई हैं-तैयारी (प्रिपरेशन), निलायन (इन्क्यूबेशन), उच्छ्वसन (इंस्पिरेशन) तथा प्रमापन (वेरिफ़िकेशन)।
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2. रेचक, उच्छ्वसन कहते हैं, इसमें फेफड़ों को वायु से रिक्त करते हैं।
4.
सर्जनात्मक कल्पना का विश्लेषण करते हुए प्रतिभाशाली हेल्महोल्त्स (Helmholtz), प्वाँकार (Poincare), ग्रैहम वैलेस (Graham Wallas) आदि ने इसकी चार अवस्थाएँ बताई हैं-तैयारी (प्रिपरेशन), निलायन (इन्क्यूबेशन), उच्छ्वसन (इंस्पिरेशन) तथा प्रमापन (वेरिफ़िकेशन)।