| 1. | लेकिन मृदा में दबी खाद में तब्दील उत्सर्गी पत्तियां
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| 2. | इसलिए कि इसमें उत्सर्गी तंत्र की नलिकाएँ और अंडवाहिनी (ओविडक्ट,
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| 3. | नहीं दूसरा जो हो तुम सा उत्सर्गी इस अवनी में
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| 4. | इसलिए कि इसमें उत्सर्गी तंत्र की नलिकाएँ और अंडवाहिनी (ओविडक्ट, Oviduct) खुलती हैं।
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| 5. | इसके अतिरिक्त मध्यस्तर से मांसपेशी (मसल), अस्थि, रक्त, प्रजननतंत्र तथा उत्सर्गी अंग बनते हैं।
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| 6. | हमारा शरीर दो प्रकार के पसीने को उत्पन्न करता है: उत्सर्गी और शिखरस्रावी।
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| 7. | उत्सर्गी नलिका का अधर भाग तथा बहिर्गमन प्रणाली दोनों बड़ी होकर संग्राही मूत्राशय (
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| 8. | उत्सर्गी पसीना ग्रंथि से पसीने के रूप में गर्म या जब एक खेल में एक पसीना है.
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| 9. | जहां हम भी बन जाएं उत्सर्गी पत्तियां सावन का महीना आज वो दरिया ही बेईमानी कर गया
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| 10. | इनमें से गुर्दों को मुख्य उत्सर्गी अंग माना जाता हैं, जो मूत्रीय संस्थान के अंग होते हैं...............
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